– शिव महापुराण कथा जारी, रोजाना बड़ी संख्या में उमड़ रहे हैं श्रद्धालु
– द्वादश ज्योतिर्लिंग मेले में दर्शन के लिए उमड़ी रही भीड़
– विशाल शिवलिंग बना आकर्षण का केंद्र
नर्मदापुरम
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के रसूलिया सेवाकेंद्र द्वारा आयोजित द्वादश ज्योतिर्लिंगम मेले में रोजाना 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। मेले में सप्त दिवसीय शिव महापुराण कथा का आयोजन भी किया जा रहा है। मेले में 41 फीट ऊंचा विशाल शिवलिंग आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
इसमें सागर से पधारीं कथावाचिका बीके नीलम दीदी ने कहा कि परमपिता शिव परमात्मा इस सृष्टि के अंत के भी अंत समय में अर्थात कलियुग के अंत और सतयुग के आदि समय संगमयुग पर आकर मनुष्य आत्माओं को सहज राजयोग की शिक्षा देते हैं। वह नर से श्रीनारायण और नारी से श्रीलक्ष्मी बनने का सहज मार्ग बताते हैं। वर्तमान में यह वही समय संगमयुग चल रहा है। युगे-युगे परमात्मा इस धरा पर अवतरित होते हैं। कहते है पार्वती जी ने श्रीगणेश जी का मैल से निर्माण किया। जब तक हमें परमात्मा की पहचान नहीं मिलती तब तक हम मैल (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) में ही रहते हैं। कहते हैं कि शंकरजी ने श्रीगणेश का गला काटा था। इसका मतलब है कि परमात्मा ने हमारा विकारों रूपी सिर काट दिया और हाथी का सिर लगा दिया। अर्थात हाथी के समान अपने अंदर गुण लाना। जैसे हाथी के कान सूप जैसे हैं इसका अर्थ है हमें बुरी बातों को सूपना है। हाथी की सूंड दूर से ही अपने परिवार और अपने भोजन को ढूंढ लेता है इसी प्रकार हमें अच्छाई को धारण करना है। हाथी की बुद्धि बड़ी शक्तिशाली और बुद्धिवान होता है तो शंकर जी ने हमारी बुराइयों रूपी गला काटा है। हमारी भारतीय संस्कृति में पौराणिक कथाओं और चरित्रों के पीछे कई आध्यात्मिक रहस्य छिपे हुए हैं, जिन्हें हमें यथार्थ रूप पहचानकर उन गुण और विशेषताओं को अपने जीवन में धारण करना है।
हर पांच हजार वर्ष बाद होती है सृष्टि की हूबहू पुनरावृत्ति-
बीके नीलम दीदी ने कहा कि इस सृष्टि की हर पांच हजार वर्ष बाद हूबहू पुनरावृत्ति होती है। सतयुग के बाद त्रेतायुग, द्वापरयुग और फिर कलियुग आता है। इस सृष्टि रूपी रंगमंच पर हर आत्मा अपने ड्रामानुसार पार्ट बजाने के लिए परमधाम से अवतरित होती है। प्रत्येक आत्मा के आने का समय निश्चित है। लेकिन सभी आत्मा कलियुग के अंत में ही वापिस परमधाम जाती हैं। इस सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष का बीज निराकार शिव परमात्मा हैं जो परमधाम के निवासी हैं। इस सृष्टि के परमात्मा मूल हैं। सभी धर्मों की आत्माएं परमात्मा की संतान हैं।
इस मौके पर आचार्य अरविंद महाराज ने भी विशेष रूप से भाग लिया। कथा में रोजाना की तरह बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस मौके पर सेवाकेंद्र प्रभारी बीके सुनीता दीदी, बीके लक्ष्मी दीदी, बीके दीपिका दीदी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।






