नर्मदापुरम
ब्रह्माकुमारीज़ के रसूलिया सेवाकेंद्र द्वारा आयोजित शिवमहापुराण कथा में छठें दिन कलियुग की वर्तमान स्थिति और आत्मा की अष्ट शक्तियों पर प्रकाश डाला गया। इसमें कथावाचिका सागर से पधारीं बी के नीलम ने कहा कि दुनिया विकारों की आग में जल रही है। अधर्म का राज्य चल रहा है। शिव पुराण की उमा संहिता में लिखा है कि कलयुग का अंतिम समय चल रहा है। अमावस की घोर अंधेरी रात में परमात्मा आते हैं। पांच पांडव भगवान से पूछ रहे हैं कि कलयुग की निशानियां क्या होंगी। पहले ने पूछा कि एक बहुत बड़ी चट्टान लुढ़कते हुए आ रहा है और नीचे एक तिनके पर आकर रुक गया है। दूसरा प्रश्न पूछा कि एक गाय अपनी बछड़ी का दूध पी रही है और गाय ने उस बछड़ी को चाट-चाट कर लहूलुहान कर दिया है। कलयुग में इतने अभिमानी हो जाएंगे जो किसी को भी नहीं समझेंगे लेकिन तिनके पर माना मौत आएगी तो सब रखा रह जाएगा। उन्होंने कहा कि ब्रह्ममुहूर्त का समय परिवर्तन का समय है। यह समय जागने का समय है। इस जागृति की बेला में महसूस करना है कि स्वयं परमात्मा की दिव्य प्रकाश की किरणें मुझ आत्मा पर पड़ रही हैं जो ब्रह्ममुहूर्त में उठता है उसमें सहनशक्ति काम करती है। परमात्मा की याद हमें सहनशील बनाती है। परमात्मा अष्ट शक्ति नव निधि के दाता हैं। अष्ट भुजाधारी देवी के हम सभी बच्चे हैं। परंतु हमारी आठ भुजाएं नहीं हैं तो हम कैसे उनके बच्चे हुए? तो अष्टभुजा माना अष्ट शक्तियां हैं जो हम सभी आत्माओं के अंदर हैं। परीक्षाएं आना माना हम शक्तिशाली हैं। समुद्र की तरह बनिए। बीके नीलम ने कहा कि जब हम राजयोग के माध्यम से खुद को आत्मा समझकर परमपिता परमात्मा शिव बाबा को याद करते हैं तो आत्मा की सोई हुईं शक्तियां पुन: जागृत हो जाती हैं। आत्मा शक्तिशाली बन जाती है। परमात्मा की याद से उसमें सहन करने की शक्ति, समाने की शक्ति, सामना करने की शक्ति, समेटने की शक्ति, परखने की शक्ति, निर्णय लेने की शक्ति, अंतर्मुखता की शक्ति, सहयोग करने की शक्ति का विकास हो जाता है। आत्मा इन शक्तियों के विकास से जीवन आसान और सरल बन जाता है। हम विपरीत परिस्थितियों में भी समस्याओं का सामना आसानी से कर सकते हैं। इस आयोजन में सुधीर पटेल , प्रफुल्ल तिवारी वरिष्ठ पत्रकार , प्रदीप गुप्ता पत्रकार, श्याम राय पत्रकार, इन्द्र कुमार सोनी, दीपक थापक, आर्या थापक, प्रभारी बीके सुनीता , सागर से पधारी बीके लक्ष्मी , बीके दीपिका ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आरती के बाद प्रसाद वितरण हुआ।






