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परियोजना अधिकारी ने जिला कार्यक्रम अधिकारी के आदेश को रद्दी की टोकरी में डाला, नहीं बदले सेक्टर सुपरवाइजर एक सेक्टर में 3 साल से अधिक तक कार्य रहे कार्य वरिष्ठ अधिकारी ने दिए थे  आदेश , लेकिन किए दरकिनार

नर्मदापुरम।

शहर में 4 सुपरवाइजर हैं जिनके कार्यकाल 3 साल से ऊपर हो गए हैं । शासन का नियम है कि कोई भी सुपरवाइजर एक सेक्टर में 3  साल से ज्यादा नहीं देख सकता, लेकिन जहां चार सुपरवाइजर हैं चारों को 3 साल से ऊपर हो गए हैं । इनका सेक्टर का प्रभार नहीं बदला है, जबकि शासन के सख्त निर्देश हैं कि  उनके सेक्टर बदले जाएं । सुपरवाइजर के आदेश भी निकले, संभाग आयुक्त ने भी आदेश मौखिक दिया उसका पालन जिला कार्यक्रम अधिकारी ने किया । आदेश भी निकाला। इस आदेश में 2 दिन के लिए लोगों को इधर से उधर किया , लेकिन इसके बाद संशोधित आदेश निकाला।  परियोजना अधिकारी ने जिला कार्यक्रम अधिकारी के आदेश को रद्दी की टोकरी में डाल दिया और उसका कोई पालन नहीं किया । उसने स्वयं एक आदेश आज निकाल दिया कि सब लोग चारों सेक्टर सुपरवाइजर अपने-अपने क्षेत्र में यथावत रहेंगे। नर्मदा पुरम महिला बाल विकास विभाग पूरे जिले में नहीं पूरे प्रदेश में अनियमित भ्रष्टाचार के लिए बदनाम है । बता दें कि जिला नर्मदा पुरम कार्यालय जिला कार्यक्रम विभाग में गत दिवस 3 महीने पहले संभाग के आयुक्त ने एक आदेश निकाला कि  शहर  में सेक्टर सुपरवाइजर का सेक्टर चेंज किया जाए मतलब उनकी अदला बदली की जाए। इस मामले में जिला कार्यक्रम अधिकारी ललित  ने आदेश निकाला और कुछ सुपरवाइजर के सेक्टर 2 दिन के लिए बदले भी, इसके बाद फिर यह यथावत रखा गया। 3 महीने बाद यह टाला मटोली एक दूसरे के ऊपर डालते हुए यह इस टेबल से टेबल पर आदेश घूमता रहा फिर 4 महीने बीत जाने के बाद भी  एक आदेश जिला कार्यक्रम अधिकारी ने चार दिसंबर को निकाला कि नर्मदा पुरम में सेक्टर प्रभारी के बदले जाएं जिसमें सरोज साध सेक्टर प्रभारी एक,  आशा भदोरिया सेक्टर प्रभारी दो, आस्था शिवहरे सेक्टर प्रभारी तीन, चंद्र किरण डोले सेक्टर प्रभारी चार, लता नागराज मेश्राम पांच की नई पद स्थापना की थी। कुछ प्रभारी तीन  की जगह चार में काम कर रही हैं जबकि नियम आशा भदोरिया का सेक्टर प्रभार तीन का है लेकिन इसे चार में काम लिया जा रहा है जो कि नियम के विरुद्ध है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी ललित दरिया ने हाल ही में एक सप्ताह पहले आदेश जारी किया कि नर्मदा परम की चारों सुपरवाइजर के सेक्टर प्रभार बदले जाएं लेकिन परियोजना अधिकारी प्रीति यादव ने जिला कार्यक्रम के अधिकारी के आदेश की अवहेलना करते हुए उसे आदेश को नहीं माना और वह आदेश स्वयं ही निरस्त कर दिए जबकि वरिष्ठ अधिकारी के आदेश का पालन होना चाहिए था क्योंकि ललित दरिया ने सख्त आदेश दिए थे कि चारों सुपरवाइजरों के सेक्टर का प्रभाव बदले जाए लेकिन उनका आदेश अधीनस्थ अधिकारी ने न मानते हुए अपने मर्जी करते हुए उसे आदेश का कोई पालन नहीं किया।शासन के नियम अनुसार सेक्टर में 3 साल से ऊपर नहीं रह सकते सुपरवाइजर राज्य शासन के नियम है कि कोई भी सुपरवाइजर अपने सेक्टर में 3 साल से ऊपर नहीं रह सकता, लेकिन  शहर में पदस्थ कर सुपरवाइजर के सेक्टर में काम करते-करते 3 साल से ऊपर हो गए हैं। इन्होंने प्रभार बदलने के लिए भी आदेश  निकाले  लेकिन परियोजना अधिकारी प्रीति यादव की मेहरबानी से इन चारों सुपरवाइजर के सेक्टर नहीं बदले गए । सीधे-सीधे शासन के नियमों की किस प्रकार नर्मदा पुरम में धज्जियां उड़ाई जा रही हैं इसका जीता जागता उदाहरण जिला कार्यक्रम महिला बाल विकास में देखा जा सकता है। यहां अधिकारी अफसर रोज आदेश निकलते हैं और रोज शाम को आदेश बदल जाते हैं यह जिला महिला  विकास विभाग में चल रहा है।वरिष्ठ अधिकारियों की मिली भगत से भी इनकार नहीं सुपरवाइजर  सेक्टर में 3 साल से ज्यादा एक ही सेक्टर में नहीं रह सकता। शहर में अधिकारियों की मिलीभगत और जिले के वरिष्ठ अधिकारियों का संरक्षण के चलते इनके प्रभार नहीं बदले हैं । यह शासन के नियमों का भी खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। इसमें वरिष्ठ अधिकारियों की मिली भगत से इंकार नहीं किया जा सकता ।  सुपरवाइजर 3 साल से अधिक कार्य कर रहे हैं इन्हें क्यों नहीं बदला जा रहा है । क्यों शासन के नियमों को दरकिनार किया जा रहा है, किसके कहने से किसके आदेश से एक ही स्थान पर 3 साल होने के बाद भी इन्हें वहीं पर पदस्थ सेक्टर का प्रभार दिया है यह एक जांच का विषय है।

नर्मदापुरम से नेहा दीपक थापक :

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