नर्मदापुरम में खिला दुर्लभ ब्रह्मकमल, जन्माष्टमी पर खरे परिवार का आंगन बना आस्था का केंद्र

नर्मदापुरम। हिंदू धर्म में अनेक वृक्ष और पौधे पूजनीय माने गए हैं। इन्हीं में से एक है ब्रह्मकमल, जिसे उत्तराखंड राज्य का राजकीय पुष्प घोषित किया गया है। यह दुर्लभ पौधा आसानी से उपलब्ध नहीं होता, किंतु इसके खिलने को शुभता, समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है।

शहर के रिवर व्यू कॉलोनी निवासी एवं समाजसेवी श्रीमती प्रीति करेंसीबी खरे के आंगन में यह अद्भुत पुष्प खिला है। खरे परिवार ने बताया कि यह पौधा उन्होंने 8 साल पहले लगाया था और पूरे 12 वर्षों तक इसकी देखरेख एक परिवार के सदस्य की तरह की। उनका कहना है – “जैसे मां अपने बच्चे की परवरिश करती है, वैसे ही हमने इस पौधे को पाला।”

✨ जन्माष्टमी पर खिला ब्रह्मकमल
जन्माष्टमी की रात ठीक 10:30 बजे जब श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां चल रही थीं, तभी आंगन में ब्रह्मकमल की तीन कलियां खिल उठीं। खरे दंपत्ति ने इस शुभ अवसर पर पूजा-अर्चना कर भगवान को भोग अर्पित किया और दीप, अगरबत्ती जलाकर आस्था व्यक्त की। इससे पहले भी 15 अगस्त की रात स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस पौधे पर दो पुष्प खिले थे।

🌸 पूजा और मान्यता
ब्रह्मकमल खिलने पर आंगन का वातावरण दिव्य और पवित्र हो जाता है। मान्यता है कि जिस घर में यह पुष्प खिलता है, वहां सुख, शांति, वैभव, यश और मां लक्ष्मी का वास होता है। खरे परिवार ने पुष्प खिलने के दौरान विशेष पूजा-अर्चना और आरती की। स्थानीय लोग भी इस दुर्लभ दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्मकमल स्वयं भगवान ब्रह्मा का प्रतीक है, इसीलिए इसे किसी अन्य देवता को अर्पित नहीं किया जाता। विश्वास है कि इस पुष्प के सामने ध्यान कर मांगी गई हर मन्नत अवश्य पूरी होती है।

🙏 खिलने के बाद बदलती है किस्मत
जनश्रुति है कि ब्रह्मकमल के दर्शन से जीवन में कभी अभाव नहीं रहता। घर-परिवार में सुख, समृद्धि और यश की वृद्धि होती है। यही कारण है कि नर्मदापुरम में खरे परिवार का यह पुष्प अब लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है।

📍 आंगन में खिले इस दुर्लभ ब्रह्मकमल ने न केवल खरे परिवार को गौरवान्वित किया है, बल्कि पूरे शहर में उत्साह और श्रद्धा का वातावरण बना दिया है।

नर्मदापुरम से नेहा दीपक थापक :

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