संस्कार भारती ने मनाई नाट्य शास्त्र रचयिता भरतमुनि की जयंती


संस्कार भारती नर्मदापुरम ने नाट्य शास्त्र के प्रणेता महर्षि भरतमुनि की जयंती सेठानी घाट स्थित सरगम सांस्कृतिक संस्था में आयोजित की। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माँ एवं भरतमुनि के छायाचित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देश के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र ने कहा कि दो हजार वर्ष पूर्व भरतमुनि ने नाट्यशास्त्र में निर्देशित किया था कि रंगमंच पर आपराधिक हिंसक एवं अशलील दृश्य न दर्शाए जाएं इससे समाज में आपराधिक वृतियाँ बढ़ती हैं । भरतमुनि का यह नाट्य निर्देश फिल्मों और धारावाहिकों के प्रदर्शन की स्वीकृति में भी आज के सेंसर बोर्ड के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शी सिद्धांत है। विशिष्ट वक्तव्य देते हुए युवा साहित्यकार एवं प्राध्यापक डॉ. संतोष अहिरवार ने भरतमुनि के कालगणना पर तार्किक विवेचन प्रस्तुत किया। अध्यक्षीय वक्तव्य में नगर गिरिमोहन गुरु ने भरतमुनि के रससूत्र की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि आधुनिक काल में सङ्गीत में प्रयुक्त 22 श्रुतियों का उल्लेख भी नाट्यशास्त्र में ही मिलता है जो सङ्गीत का आधार है। वरिष्ठ कवि सुभाष यादव ने काव्यपाठ किया।  कार्यक्रम का समापन सरगम सांस्कृतिक संस्था के विद्यार्थियों द्वारा भजनों की प्रस्तुति से हुआ। संगोष्ठी का संचालन संस्कार भारती के महामंत्री हर्ष तिवारी एवं आभार प्रदर्शन सह-महामंत्री सुयश मिश्रा ने किया । कार्यक्रम में पंकज चौधरी, जुगल किशोर, खुशहाल मेहरा, नितिन शाक्य, अनिल बनोरिया, सोहन सिंह, देव्यानी, प्रियांशी, वैभवी, चंद्रशेखर प्रजापति एवं अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

नर्मदापुरम से नेहा दीपक थापक :

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