मोहम्मद रफी: सुरों के साधक और दिलों के राजा थे रफी साहब

नर्मदापुरम।

सुरों का साधक कहिए, सुरों का सरताज कहिए या भारतीय शास्त्रीय और फिल्म संगीत की गायिकी का हीरा कहिए व्यक्तित्व एक ही जिसे दुनिया रफी साहब के नाम से जानती है। संगीत जिनकी रगों में दौड़ता था, संगीत की स्वर लहरियां जिनकी मखमली आवाज के साथ मिलकर और दिलकश तथा रूमानी हो जाती थी ऐसा ही जादू था उनका। रफी साहब के गाये गीत कालजयी हैं जिन्हें हर धड़कन गाती और गुनगुनाती है। जी हां जब भी मोहम्मद रफी का नाम आता है, आंखों के सामने एक ऐसा व्यक्तित्व उभरता है, जिसने सुरों के माध्यम से पूरे विश्व को जोड़ दिया। रफी साहब केवल एक गायक नहीं थे, वे भारतीय संगीत की आत्मा थे। उनकी आवाज़ में वह जादू था, जो किसी को भी झकझोर सकता था, रुला सकता था, और हंसा सकता था। मोहम्मद रफी का जीवन साधारण होते हुए भी असाधारण था। उनका जन्म एक छोटे से गांव में हुआ, लेकिन उनके सपने हमेशा ऊंचे थे। उन्होंने संगीत को केवल एक पेशा नहीं, बल्कि अपनी साधना बनाया। जब वे गाते थे, तो उनकी आवाज़ सीधे दिल तक पहुंचती थी। उनके गीत ओ दुनिया के रखवाले में जो दर्द और भावना थी, वह हर इंसान को छू जाती है। उनकी विनम्रता, उनकी सादगी, और संगीत के प्रति उनका समर्पण हर इंसान के लिए एक मिसाल है।

संगीत से जीवन का पाठ रफी साहब के गीत हमें जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं। उनका गीत  मन तड़पत हरि दर्शन को आज हमें यह सिखाता है कि सच्चा प्रेम और भक्ति कैसी होती है।उनके राष्ट्रभक्ति गीत कर चले हम फिदा ने न जाने कितने नौजवानों को प्रेरित किया।उनकी गायकी की सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने हर भाव, हर मूड के लिए गाया। चाहे दर्द हो, प्रेम हो, खुशी हो या भक्ति—हर गीत में उनकी आत्मा झलकती थी। भारत रत्न की मांग नर्मदापुरम के नागरिकों की ओर से यह मांग की गई है कि मोहम्मद रफी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। यह सिर्फ एक सम्मान नहीं होगा, बल्कि भारतीय संगीत के प्रति हमारी कृतज्ञता का प्रतीक होगा। रफी साहब ने अपनी आवाज़ से भारत को विश्व मंच पर एक पहचान दी। उनके गीत आज भी हमारे दिलों में बसते हैं और हमें प्रेरणा देते हैं।रफी साहब का संदेश (विशेष पंक्तियां)सुरों के सिपाही, दिलों के राजा,हर गीत उनका है संदेश का ताज।मोहब्बत, भक्ति, और वतन की गाथा,रफी के सुरों में बसी है वो भाषा।अंतिम शब्द मोहम्मद रफी की आवाज़ अमर है। उनके सुरों में वह ताकत थी, जो किसी भी दिल को पिघला सकती थी। उनकी विनम्रता, उनके भाव, और उनके सुर आज भी हमारी आत्मा को छूते हैं। आइए, उनकी जयंती पर हम यह प्रण लें कि उनकी विरासत को आगे बढ़ाएंगे और उनके संदेश को जन-जन तक पहुंचाएंगे।जैसा कि उनके एक गीत में कहा गया है:तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे । रफी साहब, आप हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

लेखक: प्रफुल्ल तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार नर्मदापुरम मध्यप्रदेश

नर्मदापुरम से नेहा दीपक थापक :

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